CoronaVirus: दो माह में चीन से खत्म हो सकता है जानलेवा वायरस का प्रकोप - WHO प्रमुख

 


 


 


 



 संपादकीय आवाम-ए-अज़ीज़ हिंदी साप्ताहिक (जानलेवा कोरोना वायरस) से चीन समेत पूरी दुनिया में हड़कंप मचा हुआ है। चीन में अब तक इस जानलेवा वायरस से 1100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 44,000 से ज्यादा लोग कोरोना वायरस से प्रभावित हैं। चीन से शुरू हुआ कोरोना वायरस अब तक 24 देशों में फैल चुका है। चीन के अलावा इससे प्रभावित अन्य देशों में भी कोरोना वायरस से ग्रसित 319 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। कोरोना वायरस को लेकर एक तरफ लोगों में दहशत है, तो दूसरी तरफ इस जानलेवा वायरस को लेकर कई तरह के झूठ फैलाए जा रहे हैं। ऐसे में न्यूज एजेंसी राॉयटर्स की तरफ से एक राहत की खबर सामने आई है। रॉयटर्स ने चीन के मेडिकल एक्सपर्ट्स के हवाले से दावा किया है कि अप्रैल इस जानलेवा वायरस से कुछ राहत मिलने के आसार हैं।


न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक चीन के चिकित्सकीय (महामारी) विशेषज्ञों का अनुमान है कि अप्रैल तक कोरोना वायरस का संकट खत्म हो सकता है। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) कोरोना वायरस को लेकर अब भी बेहद गंभीर है। WHO ने कोरोना वायरस को अति गंभीर वैश्विक खतरा घोषित किया है। मालूम हो कि चीन में इस गंभीर वायरस से मरने वालों की संख्या बुधवार को 1100 के पार पहुंच चुकी है। कोरोना वायरस की वजह से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश चीन में कंपनियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना वायरस की वजह से चीन के बहुत से मुख्य बाजार बंद हैं। कोराना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित चीन के वुहान सिटी में जनजीवन पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है


कोरोना वायरस के लिए फरवरी सबसे खतरनाक


चीन के प्रमुख चिकित्सा सलाहकार जोंग नानशान ने कोरोना वायरस के बारे में न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताय कि इस महामारी से प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या घट रही है। कई हिस्सों में नए संक्रमण के मामले धीरे-धीरे कम होने लगे हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि फरवरी माह में इस वायरस का सबसे ज्यादा नुकसान झेलना पड़ सकता है। साथ ही उन्होंने इस बात की भी उम्मीद जताई है कि अप्रैल माह तक इस महामारी का प्रकोप खत्म हो सकता है। महामारी विशेषज्ञ के तौर पर 83 वर्षीय जोंग को वर्ष 2003 में काफी प्रसिद्धि मिली थी, तब उन्होंने सार्स महामारी का मुकाबला करने में अहम भूमिका निभाई थी। अप्रैल तक महामारी के खत्म होने या थमने की वजह मौसम के तापमान में होने वाली बढ़ोत्तरी को बताया जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि तापमान बढ़ने से वायरस का प्रकोप कम होने लगेगा। हालांकि, इसका कोई वैज्ञानिक आधार है या नहीं, ये अभी स्पष्ट नहीं है।


चीनी राष्ट्रपति का आश्वासन भी नहीं आ रहा काम


कोरोना वायरस से लोगों की जान बचाने और इसे फैलने से रोकने के लिए स्थानीय सरकार को अरबों डॉलर खर्च करने पड़ रहे हैं। एक तरफ महामारी से निपटने का भारी आर्थिक बोझ और दूसरी तरफ कंपनियों को हो रहे भारी नुकसान से चीन के आर्थिक हालात पिछले एक दशक के सबसे खराब दौर से गुजर रही है। यही वजह है कि चीन की तमाम कंपनियों ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के आश्वासन के बावजूद छटनी भी शुरू कर दी है। मालूम हो कि चीनी राष्ट्रपति ने आश्वासन दिया था कि इस बुरे दौर में भी कंपनियां लोगों को नौकरी से नहीं निकालेंगी।


 


वायरस ही नहीं सप्लाई चेन टूटने से भी कई देशों पर संकट


चीनी कंपनियों की खस्ता हालत का सामना दूसरे देशों को भी करना पड़ रहा है। दरअसल, चीनी कंपनियां, दुनिया के तमाम देशों में कई चीजों का निर्यात करती हैं। कोरोना वायरस की वजह से कंपनियों में काम प्रभावित है। इससे अन्य देशों को भी चीनी सामानों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इससे दुनिया भर के कार निर्माताओं से लेकर स्मार्टफोन बनाने वाली कई वैश्विक कंपनियों के सामने सप्लाई चेन को बनाए रखने का संकट खड़ा हो गया।


 


दुनिया के बड़ा संकट बन सकता है कोरोना - WHO


कोरोना वायरस की शुरूआत कहां से और कैसे हुई, ये अब भी एक बड़ा प्रश्न बना हुआ है। वायरस के इंसान तक पहुंचने और महामारी का रूप लेने के कई कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि, इसकी वजहों का अभी कोई ठोस वैज्ञानिक आधार नहीं है। यही वजह है कि ये वायरस दुनिया के लिए बड़ा संकट बना हुआ है। यही वजह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख ट्रेडोस घेब्रोयासुस ने अपील की है कि वायरस के नमूने जांच के लिए शेयर किए जाएं। इससे निपटने के लिए जल्द से जल्द टीका विकसित किया जाए। WHO प्रमुख ने ये बात जेनेवा में रिसर्चरों को संबोधित करते हुए कही। इसके साथ ही उन्होंने शोधकर्ताओं को बताया कि कोरोना वायरस से संक्रमण के 99 फीसद मामले चीन में ही हैं। फिलहाल तो ये एक देश तक सीमित आपातकाल ही है, लेकिन ये इतना खतरनाक है कि पूरी दुनिया के लिए बड़ा संकट बन 


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